Home › Kids Stories › भोलू खरगोश और झाड़ी की आवाज़ का राज़

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एक धूप वाले दिन, नन्हा भोलू खरगोश अपने सुंदर बगीचे में अपनी लाल गेंद से खेल रहा था। वह खुशी-खुशी उछल-कूद कर रहा था।
तभी, पास की एक बड़ी, हरी-भरी झाड़ी से एक धीमी, पर अजीब सी फुसफुसाहट सुनाई दी – "सर-सर! सर-सर!" भोलू झट से रुक गया। उसके लंबे कान खड़े हो गए, और छोटा सा दिल थोड़ी देर के लिए धुक-धुक करने लगा।
उसका मन किया कि वह बस खेलने लगे और उस आवाज़ को भूल जाए। पर तभी उसे अपनी समझदार मम्मी की बात याद आई। मम्मी कहती थीं, "भोलू, जब कोई नई आवाज़ सुनाई दे, तो डरने की बजाय पता लगाना।"
भोलू ने एक लंबी साँस ली और हिम्मत जुटाई। वह धीरे-धीरे, अपने छोटे-छोटे गुलाबी पंजों से झाड़ी की ओर बढ़ा। हर कदम बहुत सावधानी से रख रहा था, और उसके कान अब भी आवाज़ की दिशा में थे।
"सर-सर! सर-सर!" आवाज़ फिर से आई! भोलू ने हिम्मत करके झाड़ी के घने पत्तों के अंदर झाँका।
और... अरे! वहाँ कोई डरावना जीव नहीं था! वहाँ तो एक नन्ही सी, सुंदर तितली थी! उसके पंख रंगीन थे और वह एक खिले हुए फूल पर बैठी, धीरे-धीरे अपने पंखों को हिला रही थी। उसके कोमल पंखों के हिलने से ही वह 'सर-सर' की प्यारी सी आवाज़ आ रही थी!
भोलू की आँखों में खुशी की चमक आ गई और वह मुस्कुराया। उसे अब बिल्कुल भी डर नहीं लगा। उसे समझ आ गया था कि वह अजीब आवाज़ कोई डरावनी चीज़ नहीं थी, बल्कि एक छोटी सी, सुंदर तितली का प्यारा सा रहस्य था!
हर अजीब आवाज़ डरावनी नहीं होती! अगर हम डरने की बजाय हिम्मत से पता लगाएँ, तो हमें हमेशा कुछ नया और प्यारा सीखने को मिलेगा!