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एक सुंदर जंगल में चार अच्छे दोस्त रहते थे — एक हिरन, एक कौवा, एक चूहा और एक कछुआ।
वे हर दिन मिलकर खेलते और सब कुछ बाँटते थे।
एक सुबह, हिरन चरने गया, लेकिन शाम तक लौटकर नहीं आया। कौवा, चूहा और कछुआ परेशान हो गए।
"मैं उड़कर उसे ढूँढता हूँ!" कौवा बोला।
वह आसमान में ऊँचा उड़ गया और देखा कि हिरन एक शिकारी के जाल में फँसा हुआ है।
"ओह नहीं!" कौवा काँव-काँव करता हुआ दोस्तों के पास लौटा।
"चिंता मत करो!" चूहा बोला। "मेरे दाँत तेज़ हैं! मैं जाकर जाल काट दूँगा!"
चूहा तेजी से जाल की ओर भागा, ऊपर से कौवा रास्ता दिखा रहा था।
धीरे-धीरे, पर निश्चय के साथ, कछुआ भी उनके पीछे चल पड़ा।
चूहा जाल के पास पहुँचा और रस्सियाँ चबाने लगा — चब चब चब!
हिरन लगभग आज़ाद हो ही गया था कि शिकारी लौट आया!
"भागो हिरन, भागो!" कौवा ज़ोर से चिल्लाया।
हिरन जंगल की ओर कूदकर भाग गया। कौवा पेड़ की ऊँचाई पर उड़ गया। चूहा एक बिल में छिप गया।
पर बेचारा कछुआ अभी पहुँचा ही था और छिप नहीं सका। शिकारी ने उसे पकड़ लिया।
"हिरन तो भाग गया, पर कछुआ मिल गया!" उसने कहा।
तीनों दोस्तों ने एक नई योजना बनाई।
हिरन रास्ते में गिरा हुआ होने का नाटक करने लगा। कौवा उसके पास उड़कर चोंच मारने लगा।
शिकारी ने हिरन को देखा और बोरी नीचे रखकर उसकी ओर दौड़ा।
हिरन तुरंत उठकर भाग गया!
चूहा दौड़ता हुआ आया और बोला, "जल्दी छिपो, दोस्त!"
कछुआ धीरे-धीरे झाड़ियों के पीछे छिप गया।
जब शिकारी वापस लौटा, तब तक दोनों जानवर गायब थे। वह गुस्से से पैर पटकता हुआ चला गया।
चारों दोस्त फिर से मिल गए — खुश और सुरक्षित।
सच्चे दोस्त मुश्किल समय में एक-दूसरे की मदद करते हैं। एकता में शक्ति है।