Home › Kids Stories › छोटा भालू जिसकी दहाड़ खो गई

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छोटा बस्टर भालू अपनी दहाड़ से बहुत प्यार करता था। जब वह खुश होता, तो दहाड़ता; जब खेलता, तो दहाड़ता; और सुबह उठकर सबको 'सुप्रभात' कहने के लिए भी दहाड़ता था! लेकिन एक धूप भरे दिन, बस्टर उठा और दहाड़ने की कोशिश की... पर आवाज़ ही नहीं निकली! "अरे नहीं!" उसने सोचा। "मेरी दहाड़ कहाँ चली गई?"
उसने अपनी दोस्त, रोज़ी खरगोश से पूछा। रोज़ी हँसते हुए बोली, "शायद यह फूलों में कहीं छिप गई होगी!" बस्टर ने फूलों के बीच खूब ढूंढा, पर दहाड़ का नामोनिशान नहीं। फिर उसने फ्लिकर गिलहरी से पूछा। फ्लिकर चहकते हुए बोली, "हो सकता है यह उछलते हुए पत्तों में कहीं दूर चली गई हो!" बस्टर ने पत्तों में भी देखा, पर फिर भी कोई दहाड़ नहीं मिली।
आखिरकार, बस्टर थोड़ा उदास हो गया। वह बड़े से ओक के पेड़ के पास बैठ गया और एक लंबी, धीमी आह भरी। तभी उसकी माँ भालू वहाँ से गुज़री। "क्या हुआ, मेरे प्यारे?" उन्होंने प्यार से पूछा।
बस्टर ने उन्हें बताने की कोशिश की, पर उसके मुँह से बस एक छोटी सी 'चीं' की आवाज़ निकली। माँ भालू ने उसे कसकर गले लगा लिया। "कभी-कभी," उन्होंने समझाया, "जब हम थोड़े थके हुए या उदास होते हैं, तो हमारी बड़ी आवाज़ों को भी आराम की ज़रूरत होती है। पर चिंता मत करो, वे हमेशा वापस आती हैं!"
माँ भालू ने बस्टर के पेट में गुदगुदी की, और वह ज़ोर से हँस पड़ा। और तभी, बिना किसी कोशिश के, एक छोटी सी, प्यारी सी दहाड़ उसके मुँह से निकल गई! बस्टर और भी ज़ोर से हँसा, और देखते ही देखते, उसकी बड़ी, खुशहाल दहाड़ें वापस आ गईं, पहले से भी ज़्यादा ज़ोरदार!
कभी-कभी उदास या शांत महसूस करना बिल्कुल ठीक है। हमारी खुशियाँ (और हमारी आवाज़ें!) हमेशा लौट आती हैं!