Home › Kids Stories › चिंटू बंदर और चमकता हथौड़ा

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एक जंगल के पास एक सुंदर सा पार्क था। पार्क में रंग-बिरंगे झूले थे और हरी-हरी मुलायम घास थी। एक दिन, कुछ भैया लोग पार्क में एक नई लकड़ी की बेंच बना रहे थे। उनके पास बड़े-बड़े औजार थे – एक चमकता हुआ हथौड़ा, कुछ कीलें और लकड़ी काटने की आरी।
रोज़ सुबह, भैया लोग आते और काम करते। ठक-ठक! ठक-ठक! हथौड़े की आवाज़ आती। पास के पेड़ पर एक नटखट बंदर रहता था, जिसका नाम था चिंटू। चिंटू को भैया लोगों को काम करते देखना बहुत अच्छा लगता था।
जब भैया लोग खाना खाने के लिए गए, तो चिंटू पेड़ से नीचे उतरा। वह बेंच के पास गया। उसने देखा, एक चमकता हुआ हथौड़ा वहीं रखा था। "वाह! यह कितना चमक रहा है!" चिंटू ने सोचा। "क्या यह खेलने की चीज़ है?"
चिंटू बहुत उत्सुक था। उसने धीरे से हथौड़े को पकड़ा। अरे! यह तो काफ़ी भारी था! उसने सोचा, चलो इसे उठाकर देखता हूँ। उसने ज़ोर लगाया और हथौड़े को थोड़ा सा उठाया। उसने धीरे से बेंच पर मारा – टक!
तभी पास बैठी गिलहरी दीदी बोली, "चिंटू! यह खिलौना नहीं है। यह भैया लोगों का काम करने का औजार है। इससे चोट लग सकती है! ध्यान रखना!"
चिंटू ने हथौड़ा नीचे रख दिया। उसने गिलहरी दीदी की बात सुनी। "ओह!" उसने सोचा। "यह खेलने के लिए नहीं है।" उसे समझ आ गया कि हर चमकने वाली चीज़ खिलौना नहीं होती।
जब भैया लोग वापस आए, तो उन्होंने अपना हथौड़ा उठाया और काम करने लगे। चिंटू दूर बैठकर उन्हें देखता रहा। अब वह समझ गया था कि औजारों से नहीं खेलना चाहिए। वे बड़ों के काम करने के लिए होते हैं।
हमें नई चीज़ों के बारे में जानना अच्छा लगता है, लेकिन हमें बड़ों के औजारों या ख़तरनाक चीज़ों से नहीं खेलना चाहिए। हमेशा सुरक्षित रहना ज़रूरी है!