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चंदा एक नन्हा सा आधा चाँद था। हर रात वह आसमान में चमकता था और नीचे सोती हुई दुनिया को रोशनी देता था।
लेकिन एक रात, चंदा ने नीचे देखा और चौंक गया। उसकी चमक तो उड़ती जा रही थी, जैसे हवा में उड़ते छोटे-छोटे जुगनू।
"अरे नहीं," चंदा ने धीरे से कहा, "मेरी चमक कहाँ जा रही है?"
आसमान थोड़ा धुंधला लगने लगा। चंदा उदास हो गया।
उसने आस-पास के समझदार तारों से पूछा, "मैं फिर से कैसे चमक सकता हूँ?"
तारों ने मुस्कराते हुए कहा, "तुम्हारी चमक सिर्फ तुम्हारे अंदर नहीं है। जब बच्चे मीठे सपने देखते हैं और खुश होते हैं, तब तुम चमकते हो।"
चंदा ने नीचे देखा। बच्चे अपने बिस्तरों में आराम से सो रहे थे और प्यारे सपनों में खोए हुए थे — किसी के सपनों में बादल थे, किसी के में पिल्ले।
जैसे-जैसे उन बच्चों के खुश सपने ऊपर आए, चंदा को एक हल्की टिमटिमाहट महसूस हुई… फिर एक और… और फिर कई सारे।
कुछ ही पलों में, चंदा की चमक वापस आ गई — पहले से भी ज्यादा तेज़ और सुंदर!
चंदा मुस्कराया। अब वह फिर से पूरी तरह चमक रहा था।
जब हम दूसरों को खुश करते हैं, तो हम खुद भी खुश और चमकदार महसूस करते हैं।