Home › Child Development › बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम: कितना है ज़्यादा?

नमस्ते पालकों!
क्या आपने कभी सोचा है — "मेरे बच्चे को मोबाइल या टीवी कितना देखना चाहिए?" अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। आजकल हर घर में स्मार्टफोन, टीवी और टैबलेट हैं। बच्चे भी बहुत जल्दी इन चीज़ों से जुड़ जाते हैं। कई बार खाना खिलाते समय या रोता हुआ बच्चा चुप कराने के लिए हम जल्दी से फोन सामने रख देते हैं।
पर सवाल ये है — क्या ये ठीक है? और अगर नहीं, तो हमें क्या करना चाहिए?
चलिए, इस बारे में थोड़ा दिल से बात करते हैं।
जब भी बच्चा मोबाइल, टीवी, लैपटॉप या टैबलेट जैसी चीज़ों को देखता है, उसे ही स्क्रीन टाइम कहते हैं।
भारत में आजकल बच्चों को बहुत जल्दी स्क्रीन से जोड़ा जा रहा है — यूट्यूब की कविताएँ, मोबाइल गेम्स या कार्टून देखने से लेकर वीडियो कॉल तक। पर हमें समझना होगा कि ये सब कब और कितना सही है।
डॉक्टरों और बच्चों के एक्सपर्ट्स की मानें, तो हर उम्र के लिए कुछ सलाह दी गई है:
18 महीने से छोटे बच्चे
कोई भी स्क्रीन नहीं — सिर्फ वीडियो कॉल (जैसे दादी-नानी से बात करना) सही माना जाता है।
18 से 24 महीने के बच्चे
अगर आप थोड़ा स्क्रीन दिखा भी रहे हैं, तो बच्चे के साथ बैठकर दिखाएँ। कोई अच्छा और आसान कंटेंट चुनें — जैसे रंग, आवाज़ें, जानवर आदि से जुड़ी चीज़ें।
2 से 5 साल के बच्चे
दिन में 1 घंटे से ज़्यादा स्क्रीन न हो। जो भी दिखाएँ, वो मज़ेदार और सिखाने वाला हो। बच्चे को साथ में नचाने, दोहराने या गाने वाली चीज़ें दिखाएँ।
6 साल से ऊपर के बच्चे
अब ज़रूरी है कि आप कुछ साफ़ नियम बनाएं — कब देखना है, कितना देखना है। ये भी ध्यान रखें कि नींद, खेल और पढ़ाई पर कोई असर न हो।
इसलिए ज़रूरी है कि हम थोड़ा ध्यान से चलें।
हम जानते हैं कि आज की लाइफ बहुत बिज़ी है। कभी-कभी मोबाइल ज़रूरी भी हो जाता है। लेकिन अगर पालक चाहें, तो कुछ छोटे बदलाव से बच्चे को स्क्रीन से दूर रखा जा सकता है:
बहुत सारे पालक सोचते हैं कि अगर बच्चा 'लर्निंग ऐप' या यूट्यूब पर A-B-C देख रहा है, तो वो पढ़ रहा है। कुछ हद तक सही है, लेकिन असली सीख तो तभी होती है जब बच्चा चीज़ों को छूकर, देखकर, खेलकर और बात करके सीखे।
कहानी सुनना, घर में मिलकर पकौड़े बनाना, आम के स्वाद पर बात करना — ये सब स्क्रीन से ज़्यादा असरदार होता है।
स्क्रीन पूरी तरह से हटाना आज के ज़माने में शायद मुमकिन ना हो। लेकिन प्यार और समझदारी से हम ये ज़रूर तय कर सकते हैं कि बच्चा सीख भी रहा है, हंस भी रहा है, और असली दुनिया से जुड़ा भी रह रहा है।
हर बच्चा अलग होता है — और हर घर की ज़रूरत भी अलग। सबसे ज़रूरी है कि पालक अपने बच्चे को समझें, और उसे वो दें जो उसकी उम्र और मन के लिए सही हो।
आप बेहतरीन पालक हैं — और अपने दिल की सुनना सबसे अच्छा तरीका है।
किस उम्र के बच्चों के लिए कितना स्क्रीन टाइम सही है?
2–5 साल: दिन में 1 घंटे तक।
6 साल से ऊपर: सीमित और बैलेंस्ड स्क्रीन टाइम।
क्या 2 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन देना ठीक है?
नहीं। WHO के अनुसार, कोई स्क्रीन टाइम नहीं होना चाहिए (सिर्फ वीडियो कॉल छोड़कर)।
ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों पर क्या असर होता है?
नींद की कमी, चिड़चिड़ापन, ध्यान की कमी और आंखों में तनाव।
क्या एजुकेशनल ऐप्स और वीडियो नुकसानदायक हैं?
अगर वो उम्र के हिसाब से सही हों और पेरेंट्स साथ देखें, तो नहीं।
स्क्रीन टाइम कैसे कम करें बिना गुस्से या ड्रामा के?
रूटीन बनाएं, अल्टरनेटिव एक्टिविटीज दें (जैसे ड्राइंग, स्टोरीटाइम), और नियम पक्के रखें।
भारत में कौन-से पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स अच्छे हैं?Google Family Link, YouTube Kids, और Qustodio सबसे भरोसेमंद हैं।